Friday, June 8, 2018

IIT कानपुर का अंजान बैचमेट


आज रात ३ बजे, एक iit कॉलेज के दोस्त से बात हुई.. पूरे कॉलेज के समय में ऐसे कुछ लोग हैं जिनसे कभी १-२ लाइन से ज्यादा बात नहीं हुई. ये जनाब भी उनमें से एक हैं, बात करके बहुत मजा आया और कई यादें ताजा हो गयी. उसने मेरे लेखक होने की बहुत तारीफ़ की और फिर एक सुनहरा गिफ्ट दे गया - जानते हैं क्या? फ़ोन काटने के ५ घंटे बाद करीब उसने फिर फ़ोन किया - भाई कहानी लिखना है, कैसे लिखूं? मैंने, जो उसको बताया, आपसे भी शेयर करता हूँ - लिखने को वर्जिस की तरह समझिये. एक बार बहुत वजन नहीं उठा सकते. आपके क्षमता से कमजोर उठाने में आपको मजा नहीं आएगा. तो आपको एक ट्रेनर चाहिए जो आपको गाइड करे और एक ट्रेनिंग प्रैक्टिस तो अभी एक ट्रेनिंग है : सीबीएसई या कोई भी बोर्ड का ६ क्लास के बाद के सारे क्लास की हिन्दी और इंग्लिश की किताब खरीद लीजिये. उनकी कहानियों को फिर से पढ़िए. फिर आप चाहे तो उन कहानियों के आसपास दिए सवालों के जवाब लिखिए. अब प्रैक्टिस : एक छोटी कहानी लिखिए कमसेकम ५०० शब्द की या आपको जितना शब्द सही लगे. आप चाहे तो रोज एक लघु कथा लिख सकते हैं, या हफ्ते में कमसेकम २. इससे कम की प्रोडक्टिविटी में लेखक नहीं बन सकते. रोज २ घंटे का एक्सरसाइज है या उससे भी कम. जिस दिन वर्जिश ना करे, तो उसके बारे में एक पेपर में लिखे की क्यूं नहीं किया. और फिर, १५ दिन बाद. मिलते हैं :)

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